“थाला के दीवाने: पाकुड़ के दो युवा जिनकी धड़कनों में बसते हैं महेंद्र सिंह धोनी”

 

भारत में क्रिकेट केवल एक खेल नहीं है, यह करोड़ों दिलों की धड़कन है। हर गली, हर मोहल्ला और हर गांव में एक धोनी, एक विराट, एक रोहित बनने का सपना देखा जाता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो खुद खिलाड़ी भले ही न बनें, लेकिन किसी खिलाड़ी के लिए उनके दिल में ऐसा जुनून होता है कि वे खुद एक कहानी बन जाते हैं। झारखंड के पाकुड़ ज़िले से आने वाले सरफ़राज़ आलम और यासिर इमरोज़ की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। ये दोनों युवा न केवल महेंद्र सिंह धोनी के फैन हैं, बल्कि उनका जीवन ही माही के प्रति समर्पित हो चुका है।

1. बचपन से शुरू हुई एक भावना

सरफ़राज़ और यासिर का जन्म झारखंड के पाकुड़ जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। इनकी परवरिश छोटे कस्बे के साधारण माहौल में हुई, जहां सुविधाएं सीमित थीं, लेकिन सपनों की उड़ान असीमित। बचपन से ही इन दोनों को क्रिकेट से लगाव था। उन्होंने मोहल्ले की गलियों में टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलते हुए अपना समय बिताया। लेकिन जब पहली बार उन्होंने टीवी पर महेंद्र सिंह धोनी को बैटिंग करते देखा, तो मानो उनका क्रिकेट के प्रति प्रेम अब एक मिशन बन गया। धोनी की लंबी बालों वाली स्टाइल, हेलिकॉप्टर शॉट्स और ठंडे दिमाग से मैच फिनिश करने की कला ने इन दोनों को जादू की तरह बांध लिया। यासिर कहते हैं, “धोनी को देखकर ऐसा लगा कि कोई अपने जैसे जगह से निकलकर दुनिया जीत सकता है।”

 

2. शिक्षा और संघर्ष का दौर

सरफ़राज़ और यासिर दोनों पढ़ाई में औसत थे, लेकिन मेहनती जरूर थे। दोनों ने पाकुड़ में ही अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए झारखंड के ही विभिन्न संस्थानों से जुड़ाव रखा। इनका सपना था कि पढ़ाई पूरी करके कुछ बड़ा करें, लेकिन माही का मैच हो, तो किताबें भी किनारे रख दी जाती थीं।

घर की आर्थिक स्थिति बहुत मज़बूत नहीं थी। कई बार तो उन्हें माही का मैच देखने के लिए मोबाइल डेटा रिचार्ज कराने तक के पैसे जुटाने में मुश्किल होती थी। लेकिन कहते हैं ना कि सच्चा प्रेम कभी रुकता नहीं, ये दोनों भी कभी रुके नहीं। उन्होंने छोटी-मोटी नौकरी करके पैसे इकट्ठा किए, ताकि वे IPL में CSK के मैच देखने स्टेडियम जा सकें।

 

3. स्टेडियम का सफर: सपना जो सच्चा हुआ

जब पहली बार ये दोनों स्टेडियम गए—वो दिन उनके लिए किसी त्योहार से कम नहीं था। पूरा चेन्नई सुपर किंग्स का गेटअप, सिर पर “SUPER KING” का पट्टा, चेहरे पर CSK का लोगो और हाथ में झंडा—इनकी ये तैयारी किसी प्रोफेशनल फैन से कम नहीं लगती। सरफ़राज़ ने बताया कि पहली बार जब धोनी को लाइव देखा, तो उनकी आंखों में आंसू थे। “ऐसा लग रहा था जैसे कोई सपना जी रहा हूं,” उन्होंने भावुक होकर कहा। यासिर ने बताया, “हमने दो दिन ट्रेन में सफर किया, भूखे रहे, लेकिन जब माही मैदान में उतरे तो भूख-प्यास सब खत्म हो गई।”

 

4. पोस्टर जो चर्चा में आ गया

2025 IPL के दौरान जब CSK का मैच चल रहा था, तब सरफ़राज़ और यासिर एक खास पोस्टर लेकर पहुंचे। उस पोस्टर पर लिखा था:

“PLS THALA COME BACK 2026 — WIN OR LOSE ALWAYS CSK”
इस पोस्टर में धोनी के अलग-अलग पोज़ वाले फोटो लगे थे, और उनके चेहरे पर मुस्कान थी। यह पोस्टर इंटरनेट पर वायरल हो गया और कई लोगों ने इन दोनों की भक्ति को सलाम किया। CSK के कई फैन पेजों पर उनकी तस्वीरें शेयर की गईं। सोशल मीडिया पर लोग इन्हें “थाला के सबसे बड़े फैन” कहने लगे।

 

5. धोनी के लिए समर्पित जीवन

इन दोनों के कमरे में आपको धोनी की पोस्टर्स, अखबार की कटिंग्स, CSK की जर्सी और धोनी के ऑटोग्राफ की तस्वीरें मिलेंगी। सरफ़राज़ तो हर साल अपनी पॉकेट मनी से एक नई CSK जर्सी खरीदते हैं, चाहे कुछ भी हो जाए।

इनका कहना है कि माही सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं हैं, बल्कि प्रेरणा हैं। माही ने सिखाया कि विनम्रता, नेतृत्व और मेहनत से कोई भी मुकाम पाया जा सकता है।

 

6. धोनी से मिलने की उम्मीद

अब तक इन दोनों को माही से मिलने का मौका नहीं मिला, लेकिन वो दिन रात इसी उम्मीद में जीते हैं कि एक दिन उनसे मिलने का सपना ज़रूर पूरा होगा। सरफ़राज़ कहते हैं, “अगर मुझे एक बार भी धोनी से मिलने का मौका मिला, तो मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि उन्होंने मेरे जैसे हजारों युवाओं को प्रेरित किया है।”

 

7. परिवार का साथ और समाज की सोच

शुरू में जब ये दोनों IPL मैच देखने के लिए दूसरे शहर जाते थे, तो समाज के कुछ लोग ताने देते थे—“क्या फायदा है इन चीजों का?”, “समय और पैसे की बर्बादी है।” लेकिन परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया। यासिर की माँ ने एक बार कहा था, “अगर तुम्हें किसी चीज़ से खुशी मिलती है और वो सही है, तो उसे करना चाहिए।” आज वही लोग जो ताना मारते थे, अब इनकी तस्वीरें देख कर गर्व महसूस करते हैं।

 

8. पाकुड़ से लेकर सोशल मीडिया तक की पहचान

सरफ़राज़ और यासिर की तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती हैं। इंस्टाग्राम, ट्विटर और फेसबुक पर इन्हें सैकड़ों लोग फॉलो करते हैं। CSK के कई पेज इनकी तस्वीरें शेयर करते हैं। इनके जैसी दीवानगी बहुत कम देखने को मिलती है।

9. क्रिकेट के प्रति समाज में जागरूकता

अब ये दोनों सिर्फ खुद तक सीमित नहीं हैं। ये पाकुड़ के बच्चों को भी क्रिकेट के लिए प्रेरित करते हैं। यासिर बच्चों को क्रिकेट कोचिंग देने लगे हैं और सरफ़राज़ एक फैन क्लब बनाने की योजना बना रहे हैं। वे चाहते हैं कि पाकुड़ के युवा भी बड़े सपने देखें और उन्हें पूरा करें।

10. एक फैन से प्रेरणा तक का सफर

इन दोनों की कहानी सिर्फ एक फैन की नहीं है, बल्कि यह कहानी है एक सोच, एक विश्वास और एक आदर्श की। इन्होंने दिखाया है कि जब दिल में सच्चा जुनून हो, तो आप किसी को अपना भगवान बना सकते हैं और उसका सम्मान हर हाल में करते हैं।

 

11. भविष्य की योजनाएँ

ये दोनों अब चाहते हैं कि धोनी के फैंस के लिए एक समर्पित संगठन बने जो न केवल क्रिकेट को प्रमोट करे, बल्कि समाजसेवा में भी योगदान दे। इनकी योजना है कि CSK और माही के नाम पर गरीब बच्चों को स्पोर्ट्स किट और एजुकेशन में मदद दी जाए।

 

12. थाला के फैंस – भारत की आत्मा

महेंद्र सिंह धोनी जैसे खिलाड़ी भले ही मैदान छोड़ दें, लेकिन उनके फैंस उन्हें हमेशा ज़िंदा रखते हैं। सरफ़राज़ और यासिर जैसे फैंस ही असली “क्रिकेट कल्चर” के प्रतिनिधि हैं। ये दिखाते हैं कि क्रिकेट केवल रन और विकेट का खेल नहीं, यह भावनाओं, प्रेरणाओं और रिश्तों का संसार है।

 

निष्कर्ष

सरफ़राज़ आलम और यासिर इमरोज़ की कहानी सिर्फ धोनी की भक्ति नहीं, बल्कि सच्चे जुनून, त्याग, संघर्ष और सपनों की कहानी है। इन्होंने यह साबित किया है कि खिलाड़ी की सबसे बड़ी ताकत उसका खेल नहीं, बल्कि उसके पीछे खड़े ऐसे फैंस होते हैं जो उसे भगवान का दर्जा देते हैं। झारखंड के इस छोटे से शहर पाकुड़ से निकलकर इन दोनों ने न केवल धोनी के प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त किया है, बल्कि हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा भी बन गए हैं। आज जब हम क्रिकेट को केवल एक ग्लैमरस खेल समझने लगे हैं, तब ये दोनों हमें याद दिलाते हैं कि क्रिकेट दरअसल दिलों का रिश्ता है।

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