“इंसानियत पर फिर एक बार लगा कलंक: तेजपुर में 85 वर्षीय महिला के साथ दरिंदगी और लूटपाट”
तेजपुर, असम — “वो बस यही कहती रही, ‘मुझे छोड़ दो… मैं तुम्हारी दादी जैसी हूं।’ पर दरिंदों को न उम्र दिखी, न इंसानियत।”
तेजपुर की पवित्र भूमि पर एक ऐसी दरिंदगी की दास्तान लिखी गई है, जिसने पूरे असम ही नहीं, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। एक 85 वर्षीय वृद्धा, जो अपने घर में अकेली रह रही थीं, उनके साथ 10 हैवानों ने जो किया, वह इंसानियत को शर्मसार करने के लिए काफी है। न सिर्फ उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ, बल्कि उन्हें बेरहमी से पीटकर लूट भी ली गई। यह कांड न केवल कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है, बल्कि हमारे समाज के नैतिक पतन की भी कहानी कहता है।
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घटना का विवरण: वह भयावह रात
घटना तेजपुर के एक शांति प्रिय मोहल्ले की है, जहाँ वर्षों से यह वृद्धा अकेली जीवन बिता रही थीं। 12 मई की रात को करीब 1 बजे, 10 युवक उनके घर में जबरन घुस आए। पहले दरवाजे को तोड़ा गया, फिर उस असहाय वृद्धा को घसीट कर आंगन में लाया गया। शोर मचाने पर उनके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया गया। उसके बाद जो हुआ, उसे शब्दों में बयान करना भी मुश्किल है।
इन युवकों ने बारी-बारी से उनके साथ दुष्कर्म किया, उनके शरीर पर चोट के कई निशान पाए गए हैं। चश्मदीदों के अनुसार, इन हमलावरों ने घर में रखी नगदी, गहने और अन्य सामान भी लूट लिए। अगले दिन सुबह पड़ोसियों ने जब दरवाजा खुला देखा, तो यह भयावह मंजर सामने आया।
पीड़िता की हालत और मेडिकल रिपोर्ट
अस्पताल में भर्ती की गई इस वृद्धा की हालत नाजुक बनी हुई है। डॉक्टरों की टीम लगातार उनकी देखभाल कर रही है। मेडिकल रिपोर्ट में साफ़ बताया गया है कि उन्हें अंदरूनी चोटें आई हैं, साथ ही मानसिक आघात भी गहरा है।
एक महिला डॉक्टर ने बताया, “मैंने अपने जीवन में बहुत केस देखे हैं, लेकिन इतनी उम्र की महिला के साथ ऐसी बर्बरता पहली बार देखी। हम सब टूट चुके हैं।”
पड़ोसियों और स्थानीय लोगों का गुस्सा
घटना के बाद पूरे मोहल्ले में भय और आक्रोश का माहौल है। स्थानीय लोगों ने थाने के सामने विरोध प्रदर्शन किया और दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की। एक वृद्ध पड़ोसी ने कहा, “हमने कभी सोचा नहीं था कि हमारे इलाके में ऐसी दरिंदगी होगी। वह महिला सबकी मां जैसी थीं।”
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस बर्बर कांड पर राजनीतिक दलों ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। असम के मुख्यमंत्री ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर लिखा, “85 वर्षीय महिला के साथ हुई यह घटना न केवल असम बल्कि पूरे देश की आत्मा को झकझोरने वाली है। हमें शर्मिंदा होना चाहिए कि हम एक सभ्य समाज कहे जाने लायक नहीं रह गए हैं।”
सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। “नारी सुरक्षा मंच” ने गुवाहाटी में मोमबत्ती मार्च निकाला और न्याय की मांग की।
पुलिस की भूमिका और जांच की स्थिति
तेजपुर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अब तक 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनसे कड़ी पूछताछ की जा रही है। बाकी 4 की तलाश जारी है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि यह मामला उनके लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है और जल्द ही सभी दोषी सलाखों के पीछे होंगे।
हालांकि, कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा कि अगर इलाके में रात गश्त होती, तो यह हादसा टाला जा सकता था।
कानूनी पहलू: क्या होगा सज़ा का रास्ता?
भारतीय दंड संहिता के तहत सामूहिक बलात्कार और वृद्धजन के साथ अपराध के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान है। वकीलों के अनुसार, यदि अपराध सिद्ध हो जाता है तो दोषियों को आजीवन कारावास या फांसी तक हो सकती है।
असम राज्य महिला आयोग ने भी स्वत: संज्ञान लिया है और मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने की मांग की है।
समाज के लिए यह एक चेतावनी है
यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं है, यह हमारे समाज के गिरते हुए मूल्यों का प्रतीक है। जब 10 युवा एक असहाय वृद्ध महिला के साथ ऐसा कुकृत्य करते हैं, तो हमें यह सोचना पड़ेगा कि हमारी परवरिश, हमारी शिक्षा और हमारी सोच में कहाँ कमी रह गई है।
क्या हम वाकई एक संवेदनशील समाज में रह रहे हैं? क्या हमारी बेटियाँ, बहनें, माताएँ और दादियाँ सुरक्षित हैं?
समाप्ति विचार: अब चुप रहना गुनाह है
यह समय सिर्फ अफसोस जाहिर करने का नहीं, बल्कि कुछ ठोस करने का है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि:
दोषियों को जल्द से जल्द कठोरतम सजा मिले
महिला और वृद्धजन सुरक्षा के लिए कानून और सशक्त हों
समाज में नैतिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए
पुलिस गश्त और निगरानी को मजबूत किया जाए
इस 85 वर्षीय महिला ने जिंदगी भर संघर्ष किया, बच्चों को बड़ा किया, समाज को सेवाएं दीं, और अंत में उन्हें यह भयानक अपमान सहना पड़ा। यह सिर्फ उनकी नहीं, हम सबकी हार है।
अब समय आ गया है कि हम आवाज़ उठाएं, न्याय की माँग करें, और यह प्रण लें कि ऐसे अपराध भविष्य में दोहराए न जाएं।